TCAS: Train Collision Avoidance System
क्या है भारतीय रेल्वे का सुरक्षा "कवच"
उड़ीसा रेल हादसा कैसे हुआ? How Odisha Train Accident Happened?
यह हादसा कैसे हुआ?
प्रारम्भिक जांच से पता चला है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन अपनी निर्धारित गति से जा रही थी, वही बहनागा बाजार स्टेशन पर लूप लाइन पर पहले से ही मालगाड़ी खड़ी हुई थी। कोरोमंडल एक्स्प्रेस ट्रेन जिसे मेन लाइन से होकर गुजरना था वह लूप लाइन की ओर जा कर मालगाड़ी से टकरा गई। इस टक्कर से ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतार कर दूसरी ओर जा गिरे, उसी समय दूसरी ओर से बेंगलुरू- हावड़ा एक्स्प्रेस आ गई जो कि कोरोमंडल एक्स्प्रेस ट्रेन के डिब्बों से टकरा गई।
कुछ लोगों का कहना है कि यह हादसा रेल्वे सिग्नलिंग सिस्टम मे आई खराबी के कारण हुआ है , तो कुछ लोगों का मानना है कि यह लोको पायलेट कि लपरवाही के वजह से हुआ है।
सही कारण क्या है इस बात का पता तो CRS के द्वारा पूरी तरह से जांच करने के बाद ही चल पाएगा।
लेकिन सवाल तो यह है कि कब तक इस तरह के हादसे होते रहेंगे? क्या इन हादसों को रोका जा सकता है? और भारतीय रेल्वे इस तरह के हादसे रोकेने के लिए क्या - क्या कार्य कर रही हैं?
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What is TCAS: Train Collision Avoidance System?
क्या है भारतीय रेल्वे का सुरक्षा "कवच"??
क्या है यह तकनिक और यह किस तरह कार्य करती है?
भारतीय रेल्वे ने यात्रियों कि सुरक्षा को ध्यान मे रख कर और भविष्य मे इस तरह कि घटना को रोकने के लिए इस तकनीक को विकसित किया है, यह तकनीक खास कर के दो ट्रेन के आपस मे टकराने कि घटना को रोकेने के उद्देश्य से बनाया गया है। इस तरह की घटना के कारण जान-माल का अधिक नुकसान होता है।
यह भिन्न - भिन्न तरीकों से कार्य करता है जैसे -
1. यदि कोई ट्रेन आपनी निर्धारित गति सीमा से अधिक रफ्तार से चल रही है, तब यह सिस्टम ट्रेन मे औटोमेटिक ब्रैक को अप्लाइ कर देगा जिससे कि उसकी गति धीमी हो जाती है।
2. यदि कोई ट्रेन भूलपूर्वक रेड सिग्नल को पार कर जाए तब यह कवच प्रणाली तुरंत ही सक्रिय हो जाती है और ट्रेन मे ब्रेक लगा देती है।
3. खराब मौसम के दौरान ट्रेन चालक को ट्रेन चलाने मे बड़ी परेशानी होती है। घने कोहरे मे ट्रेन का संचालन बहुत मुस्किल होत है , ऐसे मे यह सिस्टम चालक कि मदद करता है।
4. यदि किस रेल लाइन पर पहले से ट्रेन खड़ी हो , तो यह कवच सिस्टम तुरंत ही लोको पाइलट को सूचित करता है। और यदि लोको पाइलट इस सूचना को प्राप्त ना कर पाए तो यह कवच सिस्टम स्वयं ही ट्रेन को धीमा कर देता है और एक निश्चित दूरी पर पहुचने के बाद यह ट्रेन को पूरी तरह से रोक देता है। जिससे कि दो ट्रेन मे टकराने कि घटना ना हो सके।
5. कई बार किसी ऐसे रेल्वे फाटक जहा से ट्रेन दिखाई नहीं देती वहाँ अकसर हादसे होते है, ऐसे मे कवच सिस्टम रेल्वे क्रॉसिंग गेट आने के पहले सूचना दे देता है और आलार्म बजने लगता है, जिससे कि सबको ट्रेन के आने कि चेतावनी मिल सके।
6. यह सिस्टम दो ट्रेन मे चालक और ट्रेन के गार्ड के बीच संपर्क स्थापित करता है। जिससे कि एक ही ट्रैक पर उपस्थित दोनों ट्रेन के बीच एक निश्चित दूरी बना कर रखी जा सके।
तो दोस्तों यह थी जानकारी भारतीय रेल्वे के सुरक्षा कवच के बारे मे खास जानकारी। उम्मीद है आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे -
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