केदारनाथ मंदिर एक अनसुलझी पहेली / Some Interesting Facts About Kedarnath Temple

केदारनाथ मंदिर
एक अनसुलझी पहेली

Kedarnath Temple




केदारनाथ मंदिर एक अनसुलझी पहेली / Some Interesting Facts About Kedarnath Temple
केदारनाथ मंदिर एक अनसुलझी पहेली / Some Interesting Facts About Kedarnath Temple 



नमस्कार दोस्तों, Malakar Blog में आपका स्वागत हैं।

आपने Kedarnath Temple के बारें में बहुत सारी जानकारी सुनी होंगी या शायद आपने केदारनाथ मंदिर के दर्शन भी किए होंगे ऐसे में हमारे मन में हमेशा से ही एक प्रश्न आता है कि

आखिर केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया था? तथा इस मंदिर का निर्माण किस समय किया गया था?

इसके बारे में बहुत से लोगों द्वारा बहुत कुछ कहा जाता है। पांडवों से लेकर के आदि शंकराचार्य तक।


दोस्तों आज मैं आपको बताने जा रहा हूं, Kedarnath Temple/केदारनाथ धाम मंदिर से जुड़ी कुछ खास तथा रोचक जानकारियां 


आइए जानते हैं:-


वर्तमान समय का विज्ञान और जानकार बताते है कि केदारनाथ मंदिर लगभग 8वीं शताब्दी में बना था। यदि यह ना भी कहते हैं, तब भी यह मंदिर कम से कम 1200 वर्षों से अस्तित्व में रहा है।

केदारनाथ धाम की भूमि 21वीं सदी में भी बहुत प्रतिकूल है।

एक तरफ 22,000 फीट ऊंची केदारनाथ पहाड़ी, दूसरी तरफ 21,600 फीट ऊंची कराचकुंड और तीसरी तरफ 22,700 फीट ऊंचा भरतकुंड है।

केदारनाथ मंदिर एक अनसुलझी पहेली / Some Interesting Facts About Kedarnath Temple
केदारनाथ मंदिर परिसर 


इन 3 पर्वतों से होकर के बहने वाली 5 नदियां हैं, मंदाकिनी, मधुगंगा, चिरगंगा, सरस्वती और स्वरंदरी। इनमें से कुछ के नाम पुराण में लिखे गए हैं।

यह क्षेत्र "मंदाकिनी नदी" का एकमात्र जलसंग्रहण क्षेत्र है।

यह मंदिर एक कलाकृति है। कितना असम्भव कार्य रहा होगा, ऐसी दुर्गम जगह पर इतनी विशाल कलाकृति जैसा मन्दिर बनाना। जहां ठंड के मौसम में भारी मात्रा में बर्फ जमी होती हैं, और बरसात के मौसम में बहुत तेज गति से पानी बहता हैं। आज भी आप गाड़ी से उस स्थान तक नही जा सकते।


Kedarnath Temple facts
केदारनाथ धाम मंदिर - malakar Blog 


ऐसे में यह प्रश्न आता हैं कि

इस मन्दिर को ऐसी जगह क्यों बनाया गया?

ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में 1200 साल से भी पहले ऐसा अप्रतिम मंदिर कैसे बन सकता है ?

1200 वर्ष के बाद, भी जहां उस क्षेत्र में सब कुछ हेलिकॉप्टर द्वारा ले जाया जाता है। JCB Machine के बिना आज भी वहां एक भी ढांचा खड़ा नहीं होता है। यह मंदिर वहीं खड़ा है और न सिर्फ खड़ा है, बल्कि बहुत मजबूत भी है।हम सभी को कम से कम एक बार यह सोचना चाहिए।


वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि यदि मंदिर 10वीं शताब्दी में पृथ्वी पर होता, तो यह "हिम युग" की एक छोटी अवधि में होता।


वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी, देहरादून ने केदारनाथ मंदिर की चट्टानों पर लिग्नोमैटिक डेटिंग का परीक्षण किया। यह "पत्थरों के जीवन" की पहचान करने के लिए किया जाता है। परीक्षण से पता चला कि मंदिर 14वीं सदी से लेकर 17वीं सदी के मध्य तक पूरी तरह से बर्फ में दब गया था। हालांकि, मंदिर के प्रांगण में कोई नुकसान नहीं हुआ।

2013 में केदारनाथ में आई विनाशकारी बाढ़ को सभी ने देखा होगा। इस दौरान औसत से 375% अधिक बारिश हुई थी। आगामी बाढ़ में "5748 लोग" (सरकारी आंकड़े) मारे गए और लगभग 4200 गांवों को नुकसान पहुंचा। भारतीय वायुसेना ने लगभग 1 लाख 10 हजार से ज्यादा लोगों को एयरलिफ्ट कर के बचाया। आसपास के क्षैत्र में काफी जन- धन की हानि हुई, परन्तु इतनी भीषण बाढ़ में भी केदारनाथ मंदिर का पूरा ढांचा थोड़ा-सा भी प्रभावित नहीं हुआ।

भारतीय पुरातत्व सोसायटी के मुताबिक, बाढ़ के बाद भी मंदिर के पूरे ढांचे के ऑडिट में 99 % मंदिर पूरी तरह सुरक्षित है। 2013 की बाढ़ और इसकी वर्तमान स्थिति के दौरान निर्माण को कितना नुकसान हुआ था। इसका अध्ययन करने के लिए "IIT Madras" ने मंदिर पर "NDT परीक्षण" किया। साथ ही कहा कि मंदिर पूरी तरह से सुरक्षित और मजबूत है।


मंदिर के अक्षुण खड़े रहने के पीछे का कारण:


जिस दिशा में इस मंदिर का निर्माण किया गया है व मंदिर निर्माण के लिए जिस स्थान का चयन किया गया है। 

यही इसका प्रमुख कारण हैं।

दूसरी बात यह है कि इसमें उपयोग किया गया पत्थर बहुत सख्त और टिकाऊ होता है। विचित्र बात यह है कि इस मंदिर के निर्माण के लिए उपयोग किया गया पत्थर वहां उपलब्ध नहीं है।

तो जरा सोचिए कि उस तरह के पत्थर को वहां कैसे ले जाया जा सकता था? उस समय इतने बड़े पत्थर को ढोने के लिए इतने उपकरण भी उपलब्ध नहीं थे। इस पत्थर की विशेषता यह है कि 400 साल तक बर्फ के नीचे रहने के बाद भी इसके "गुणों" में कोई अंतर नहीं आता है।


आज का विज्ञान कहता है कि मंदिर के निर्माण में जिस पत्थर और संरचना का इस्तेमाल किया गया है, तथा जिस दिशा में Kedarnath Temple बना है, उसी की वजह से यह मंदिर इस बाढ़ में बच पाया था।

केदारनाथ मंदिर "उत्तर-दक्षिण" के रूप में बनाया गया है। जबकि भारत में लगभग सभी मंदिर "पूर्व-पश्चिम" हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि मंदिर "पूर्व-पश्चिम" होता तो पहले ही नष्ट हो चुका होता या कम से कम 2013 की बाढ़ में तबाह हो जाता। लेकिन इस दिशा की वजह से केदारनाथ मंदिर बच गया है।

इस प्रकार, मंदिर ने प्रकृति के चक्र में ही अपनी ताकत बनाए रखी है। मंदिर के इन मजबूत पत्थरों को बिना किसी सीमेंट के "एशलर" तरीके से एक साथ चिपका दिया गया है। इसलिए पत्थर के जोड़ पर तापमान परिवर्तन के किसी भी प्रभाव के बिना मंदिर की मजबूती अभेद्य है।


टाइटैनिक जहाज के डूबने के बाद, पश्चिमी देश के लोगों ने महसूस किया कि कैसे "एनडीटी परीक्षण" और "तापमान" ज्वार को मोड़ सकते हैं। लेकिन भारतीय लोगों ने यह पहले ही सोचा और यह 1200 साल पहले परीक्षण किया।


क्या केदारनाथ मंदिर उन्नत भारतीय वास्तु कला का ज्वलंत उदाहरण नहीं है?


2013 में, मंदिर के पिछले हिस्से में एक बड़ी चट्टान फंस गई (जिसे भीम शिला कहा जाता हैं) और पानी की धार विभाजित हो गई। मंदिर के दोनों किनारों का तेज पानी अपने साथ सब कुछ ले गया लेकिन मंदिर और मंदिर में शरण लेने वाले लोग सुरक्षित रहे। जिन्हें अगले दिन भारतीय वायुसेना के द्वारा एयरलिफ्ट किया गया था।

सवाल यह नहीं है कि आस्था पर विश्वास किया जाए या नहीं। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि मंदिर के निर्माण के लिए स्थल, उसकी दिशा, वही निर्माण सामग्री और यहां तक कि प्रकृति को भी ध्यान से विचार किया गया था जो 1200 वर्षों तक अपनी संस्कृति और मजबूती को बनाए रखेगा।

हम पुरातन भारतीय विज्ञान की भारी यत्न के बारे में सोचकर दंग रह गए हैं। शिला जिसका उपयोग 6 फुट ऊंचे मंच के निर्माण के लिए किया गया है, वह कैसे मन्दिर स्थल तक लायी गयी?


आज तक तमाम बाढ़ों के आने के बाद एक बार फिर उन वैज्ञानिकों के सर Kedarnath Temple के निर्माण के आगे नतमस्तक हैं। जिसे उसी भव्यता के साथ 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊंचा होने का सम्मान मिला हुआ हैं।

यह एक उदाहरण है कि वैदिक हिंदू धर्म और संस्कृति कितनी उन्नत थी। उस समय हमारे ऋषि-मुनियों यानी वैज्ञानिकों ने वास्तुकला, मौसम विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, आयुर्वेद में काफी उन्नति की थी।


इसलिए मुझे गर्व है कि मैं भारतीय हूँ।

तथा भारतीय संस्कृति हमारी धरोहर है और उसी आस्था व विश्वास पर भारत को गर्व है, जिसे सम्पूर्ण विश्व अचरज से देखता है। किन्तु अधिपत्य स्वीकार करने से बचता है अनेको बार हमारी संस्कृति ने विश्व को झकझोर कर दिया है किन्तु लोग अभी भी हमें विश्व गुरू मानने से परहेज करते है ।

हमारी इसी विरासत हमारी इसी संस्कृति पर आस्था व विश्वास है जो सदैव मजबूत व बुलंद रहेगा ।


FAQ's

Q. केदारनाथ मंदिर किसने बनवाया था?

विशेषज्ञों द्वारा और जानकारों द्वारा बताया जाता है कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण जगत गुरु आदि शंकरचार्य जी ने करवाया था। 


Q. केदारनाथ मंदिर कितने साल पुराना है?

वर्तमान समय का विज्ञान और जानकार बताते है कि केदारनाथ मंदिर लगभग 8वीं शताब्दी में बना था। यदि यह ना भी कहते हैं, तब भी यह मंदिर कम से कम 1200 वर्षों से अस्तित्व में रहा है।


Q. केदारनाथ में कितनी नदियों का संगम है?

केदारनाथ धाम के पर्वतों से होकर के बहने वाली 5 नदियां हैं, मंदाकिनी, मधुगंगा, चिरगंगा, सरस्वती और स्वरंदरी। इनमें से कुछ के नाम पुराण में लिखे गए हैं।


यह थी Kedarnath Temple के बारे में कुछ रोचक जानकारियां

उम्मीद हैं आपको यह केदारनाथ मंदिर एक अनसुलझी पहेली / Some Interesting Facts About Kedarnath Temple की जानकारी अच्छी लगी होगी। मेरा यह लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत धन्यवाद।

इसी तरह की अन्य खबरों व रोचक जानकारियों के लिए Malakar Blog  को Follow करे। 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad