LVM3 or CE20
ISRO ने किया Cryogenic Engine CE20 का सफल परीक्षण
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ISRO ने किया Cryogenic Engine का सफल परीक्षण - Malakar Blog |
Source - ISRO
Written By - Rahul R Malakar
पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनिक से विकसित किया गया LVM3 रॉकेट जिसके लिए ISRO द्वारा बनाए गए Cryogenic Engine CE20 ने अपना Hot Test को pass कर लिया है।
नमस्कार दोस्तों, Malakar Blog में आपका स्वागत हैं।
दोस्तों आज हम अपको बताने जा रहे हैं, ISRO के बहुत ही महत्वपूर्ण मिशन और उससे जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में। इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे ISRO के क्रायोजेनिक इंजन और सबसे पॉवरफुल लॉन्च व्हीकल LVM3 के बारे में-
Indian space research organisation (I.S.R.O.) यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (जिसे ISRO के नाम से भी जाना जाता हैं), ने हाल ही में अपने स्वयं की स्वदेशी तकनीक से विकसित किए गए क्रोयोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया हैं।
ISRO successfully Tested Cryogenic Engine
ISRO के Cryogenic Engine, CE20 जो कि पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनिक से विकसित किया गया है ने अपना Hot Test सफलतापुर्वक pass कर लिया है।
Indian Space Agency के अनुसार, हॉट टेस्ट के अलावा, इसमें एक 3डी प्रिंटेड LOX और LH2 टर्बाइन एग्जॉस्ट केसिंग को पहली बार इंजन में शामिल किया गया था।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने CE20 क्रायोजेनिक इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है, जिसे LVM3 के लिए स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है, इससे पहले इस लॉन्च व्हीकल को GSLV-Mk3 कहा जाता था।
ISRO के अनुसार CE20 क्रायोजेनिक इंजन LVM 3 के लिए स्वदेशी तकनीकी रूप से विकसित किया गया है। 9 नवंबर 2022 को तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में पहली बार 21.8 टन के हाई थ्रस्ट लेवल पर इसका सफल तापीय परीक्षण किया गया।
यह अतिरिक्त प्रोपेलेंट लोडिंग के साथ LVM3 की 450 किलोग्राम तक की पेलोड क्षमता को और अधिक बढ़ा देगा। पिछले इंजनों की तुलना में इस परीक्षण में किए गए प्रमुख संशोधन थ्रस्ट नियंत्रण के लिए थ्रस्ट कंट्रोल वाल्व (TCV) की शुरूआत थी।
इसरो ने कहा हैं कि तापीय परीक्षण के अलावा, एक 3डी प्रिंटेड एलओएक्स और एलएच2 टर्बाइन एग्जॉस्ट केसिंग को पहली बार इस इंजन में शामिल किया गया। इस परीक्षण के दौरान, इंजन ने पहले 40 सेकंड के लिए ~20t थ्रस्ट लेवल के साथ काम किया। फिर थ्रस्ट कंट्रोल वाल्व को घुमाकर थ्रस्ट लेवल को 21.8t तक बढ़ाया गया।
इसरो के अनुसार, परीक्षण के दौरान, इंजन और और उसके कार्य का प्रदर्शन सामान्य था। और साथ ही आवश्यक पैरामीटर प्राप्त किए गए थे।इस लॉन्च व्हीकल LVM3 को पहले GSLV-Mk III के नाम से जाना जाता था।
जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एमके III
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा तीन-चरण वाला मध्यम-लिफ्ट लॉन्च वाहन विकसित किया गया है। लॉन्च व्हीकल मार्क-3 ( एलवीएम 3 ), जिसे पहले जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (जीएसएलवी एमके3 ) के रूप में जाना जाता था।
मुख्य रूप से संचार उपग्रहों को भूस्थिर कक्षा (GTO) में लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान को ध्यान में रखकर अन्तरिक्ष यात्री क्रू मिशनों को करने लिए बनाया गया हैं। जीएसएलवी एमके III में अपने पूर्ववर्ती जीएसएलवी एमके II की तुलना में अधिक पेलोड क्षमता वहन करने में सक्षम हैं।
Vehicle Specifications
- Height : 43.5 m
- Vehicle Diameter : 4.0 m
- Heat Shield (Payload Fairing) Diameter : 5.0 m
- Number of Stages : 3
- Lift Off Mass : 640 tonnes
Technical Specification
Payload to GTO: 4,000 kg
जीएसएलवी एमके III जीसैट श्रृंखला के 4 टन वर्ग के उपग्रहों को भूतुल्यकाली स्थानांतरण कक्षाओं में स्थापित करने में सक्षम होगा।
Payload to LEO (Low Earth Orbit) : 8,000 kg
LEO (पृथ्वी की निचली कक्षा) में पेलोड : 8,000 कि.ग्रा
जीएसएलवी एमके III का शक्तिशाली क्रायोजेनिक चरण इसे 600 किमी ऊंचाई की निचली पृथ्वी कक्षाओं में भारी पेलोड स्थापित करने में सक्षम बनाता है।
Cryogenic Upper Stage : C25
क्रायोजेनिक ऊपरी चरण: C25
C25 भारत के सबसे बड़े क्रायोजेनिक इंजन CE-20 द्वारा संचालित है, जिसे लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है।
- Cryo Stage Height : 13.5 m
- Cryo Stage Diameter : 4.0 m
- Engine : CE-20
- Fuel : 28 tonnes of LOX + LH2
Solid Rocket Boosters : S200
जीएसएलवी एमके III दो एस200 ठोस रॉकेट बूस्टर का उपयोग करता है ताकि उत्थापन के लिए आवश्यक भारी मात्रा में प्रणोद प्रदान किया जा सके। S200 को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में विकसित किया गया था।.
- Booster Height : 25 m
- Booster Diameter : 3.2 m
- Fuel : 205 tonnes of HTPB (nominal)
Core Stage : L110 Liquid Stage
L110 लिक्विड स्टेज लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर में डिजाइन और विकसित दो विकास इंजनों द्वारा संचालित है।
- Stage Height : 21 m
- Stage Diameter : 4 m
- Engine : 2 x Vikas
- Fuel : 115 tonnes of UDMH + H2O
About the Launch Vehicle
GSLV Mk-III को दो ठोस स्ट्रैप-ऑन मोटर्स (S200), एक तरल कोर स्टेज (L110) और एक हाई थ्रस्ट क्रायोजेनिक Upper Stage (C25) के साथ 3 Stage वाले Vehicle के रूप में configure किया गया है। S200 सॉलिड मोटर 204 टन सॉलिड बूस्टर के साथ दुनिया के सबसे बड़े ठोस बूस्टरों में से एक है।
तरल L110 चरण 115 टन लिक्विड प्रोपेलेंट के साथ एक जुड़वां तरल इंजन कॉन्फ़िगरेशन का उपयोग करता है, जबकि C25 क्रायोजेनिक ऊपरी चरण 28 टन के प्रोपेलैंड लोड के साथ पूरी तरह से स्वदेशी हाई थ्रस्ट क्रायोजेनिक इंजन (CE20) के साथ कॉन्फ़िगर किया गया है। Vehicle की कुल लंबाई 43.5 मीटर है जिसमें 640 टन का सकल लिफ्टॉफ भार और 5 मीटर व्यास का पेलोड फेयरिंग है। .
GSLV Mk-III (LVM3) ISRO का नया भारी लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है, जो की GTO (जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट) के लिए 4000 किलोग्राम अंतरिक्ष यान लॉन्च करने की क्षमता हासिल करने के लिए लागत प्रभाव के तरीके को ध्यान में रखकर बना हैं।
LVM3 एक तीन चरणों वाला लॉन्च व्हीकल है जिसमें दो ठोस प्रोपेलेंट S200 स्ट्रैप-ऑन और L110 तरल चरण, C25 क्रायोजेनिक चरण, उपकरण बे (EB) और एनकैप्सुलेटेड असेंबली (EA) शामिल हैं।
ईए में अंतरिक्ष यान, पेलोड एडेप्टर (पीएलए) और पेलोड फेयरिंग (पीएफ) शामिल हैं। 640 टन के उत्थापन द्रव्यमान के साथ, यह 43.5 मीटर लंबा तीन-स्तरीय लॉन्च वाहन इसरो को GTO में 4000 किलोग्राम तक वजन वाले भारी संचार उपग्रहों को लॉन्च करने में पूर्ण आत्मनिर्भरता देता है।
वाहन दो S200 बूस्टर के एक साथ प्रज्वलन के साथ उड़ान भरता है। S200 चरणों की फायरिंग के दौरान, मुख्य चरण (L110) को उड़ान के माध्यम से लगभग 113 सेकंड पर प्रज्वलित किया जाता है। दोनों S200 मोटर्स लगभग 134 सेकंड तक जलती हैं और सेपरेशन 137 सेकंड पर होता है।
पेलोड फेयरिंग को 115 किमी की ऊंचाई पर और L110 फायरिंग के दौरान लगभग 217 सेकंड में अलग किया जाता है। L110 बर्नआउट और सेपरेशन और C25 इग्निशन 313 सेकंड पर होता है। अंतरिक्ष यान को 974 सेकंड के मामूली समय पर 180x36000 किमी की GTO (जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट) कक्षा में छोड़ा जाता है।
18 दिसंबर 2014 के उप-कक्षीय उड़ान परीक्षण और कई विलंब के बाद, इसरो ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 5 जून 2017 को GSLV Mk III का पहला ऑर्बिटल परीक्षण सफलतापूर्वक किया ।
लागत
इस परियोजना के विकास की कुल लागत ₹2,962.78 करोड़ ( 2020 में ₹38 बिलियन या US $480 मिलियन के बराबर) थी। जून 2018 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पांच साल की अवधि में 10 GSLV Mk III रॉकेट बनाने के लिए ₹4,338 करोड़ (2020 में ₹49 बिलियन या US $620 मिलियन के बराबर) को मंजूरी दी ।
GSLV Mk III ने CARE, भारत का अंतरिक्ष कैप्सूल रिकवरी प्रयोग मॉड्यूल, चंद्रयान -2 , भारत का दूसरा चंद्र मिशन लॉन्च किया है। इसका उपयोग गगनयान को ले जाने के लिए किया जाएगा, जो भारतीय मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम के तहत पहला क्रू मिशन है।
OneWeb
LVM3-M2 मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद ISRO ने GSLV Mk III का नाम बदलकर LVM 3 कर दिया। एक विशेष कक्षा में पेलोड को छोड़ने के लिए व्हीकल की क्षमता पर किसी भी प्रकार की होने वाली अस्पष्टता को दूर करने के लिए इसका नाम बदला गया था।
FAQ'S
Q. क्रायोजेनिक इंजन का क्या अर्थ है?
क्रायो का अर्थ हैं अत्यंत कम ताप वाला। क्रायोजेनिक तकनीक एक ऐसी अवस्था हैं जहां इंजन को बहुत कम तापमान के फ्यूल से चलाया जाता हैं।
Q. क्रायोजेनिक इंजन का तापमान कितना होता है?
क्रायोजेनिक इंजन का तापमान -238°F होता हैं।
Q. इसरो (ISRO) का पुराना नाम क्या
था?
इसरो कि स्थापना 15 अगस्त 1969 मे हुई थी, तब इसका नाम भारतीय राष्ट्रीय अनुसंधान समिति ( INCOSPAR) था। जिसे बाद मे बदल कर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेसन (इसरो) कर दिया गया।
Q. क्या भारत में क्रायोजेनिक तकनीक है?
भारत उन देशों में से हैं जिसने अपनी स्वयं की क्रायोजेनिक इंजन की तकनीक को विकसित किया है।
Q. क्रायोजेनिक इंजन का क्या फायदा है?
एक क्रायोजेनिक इंजन ठोस और तरल प्रणोदक रॉकेट इंजन जैसे अन्य प्रणोदकों की तुलना में उपयोग किए जाने वाले प्रत्येक किलोग्राम क्रायोजेनिक प्रोपेलेंट के साथ अधिक बल प्रदान करता है और अधिक कुशल होता है ।
Q.कितने देशों में क्रायोजेनिक तकनीक है?
इस समय 6 देशों के पास क्रायोजेनिक तकनीक है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका USA
- रूस Rassia
- जापान Japan
- चीन China
- फ्रांस France
- भारत India
Conclusion
ISRO द्वारा बनाए गए Cryogenic Engine CE20 भारत को अन्तरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में उन्नति करने में सहायक सिद्ध होगा क्योंकि इस तरह के सफलतम आधुनिक तकनीक ने भारत को अन्तरिक्ष अनुसंधान में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना दिया हैं। ISRO ने अपने स्वदेशी तकनीक से विकसित क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण कर लिया हैं। यह इसरो के अंतरिक्ष में मानव मिशन गगनयान में अहम भूमिका निभाएगा। इसके साथ ही भारत आधुनिक विज्ञान में भी नई नई उपलब्धियां हासिल कर रहा हैं। जो कि देश को सुरक्षा और समस्याओं का समाधान प्रदान करेगा।
तो दोस्तों यह थे ISRO के महत्तवपूर्ण क्रायोजेनिक इंजन के सफल परिक्षण के बारे में छोटी सी जानकारी। मेरे अगले लेख में हम इसरो के अंतरिक्ष में मानव मिशन गगनयान के बारे में जानेंगे। यदि आप इस मिशन के बारे में जानकारी जानना चाहते हैं तो Malakar Blog को जरूर Subscribe कीजिए।
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